नवग्रह मंत्र सुप्रसिद्ध ज्योतिष एस्ट्रो गुरु दीपक जैन द्वारा

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Navagraha Mantra
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नवग्रह मंत्र सुप्रसिद्ध ज्योतिष एस्ट्रो गुरु दीपक जैन द्वारा

नवग्रह मंत्र के विषय में भारत के सुप्रसिद्ध ज्योतिष एस्ट्रो गुरु दीपक जैन के अलग अलग शास्त्रों के संसोधनो के अनुसार कुंडली के सभी नौ ग्रह – सूर्य, चंद्र, मंगल, बुध, बृहस्पति, शुक्र, शनि, राहु, केतु जीवन के हर पहलू को प्रभावित करते हैं अर्थात विवाह, करियर, स्वास्थ्य, वित्त, परिवार, सरकारी कार्य, समस्याएं, बाधाएँ, प्रगति, उन्नति, अधोगति, संतान, आकस्मिक समस्याएं, क़ानूनी मामले, राजकीय उतार चढ़ाव, आदि. कुंडली में इन ग्रहों की चाल, योग या दोष नकारात्मक प्रभाव बनाती है. इन नवग्रह के नकारात्मक दोषों के कारण, लोगों को अपने जीवन में विभिन्न बाधाओं और समस्याओ का सामना करना पड़ता है. इन ग्रहों के अशुभ दोष या अशुभ प्रभाव को कम करने और शुभता को बढ़ाने के लिए, सभी अलौकिक शक्तियों से सर्वोपरि नवग्रह जो समस्त ब्रह्माण्ड का समय चक्र है और जिनके गति भ्रमण से ही समस्त भ्रमांड में और पृथ्वी पे जन्म लिए हुए हर योनि और मनुष्य के जीवन को प्रभावित करते है, उन नवग्रहों की सम्पूर्ण विधि, विधान और वेद शास्त्र, पुराण शास्त्र, जैन शास्त्र, तंत्र शास्त्र में अलग अलग तरह से दिया गया नवग्रह सूर्य, चंद्र, मंगल, बुध, बृहस्पति, शुक्र, शनि, राहु, केतु का विधान और क्रियाएं की जाये तो मनुष्य अपने समय को प्रगतिशील और अनुकूल बना शकता है। नवग्रह के विधान कई तरह के कहे गए है, जो हर विधि और विधान के भीतर मंत्रो का उच्चारण और अनुष्ठान अनिवार्य है, शास्त्रोक्त और तंत्रोक्त नवग्रह के नवग्रह मंत्र का जाप करने से समय को अनुकूल और सही किया जा शकता है। यह नवग्रह मंत्र जाप, नवग्रह हवन (यज्ञ) और नवग्रह पूजा ग्रहों के नकारात्मक या हानिकारक प्रभावों को कम या समाप्त करती है. नवग्रह के विधान में मंत्र जाप, पूजा, हवन, दान, दक्षिणा, क्रियाएं, और दैनिक करने वाले उपाय को सही तरीके से करते हैं तो आपको सफलता और खराब स्वास्थ्य, वैमनस्य और बाधाओं से राहत मिलेगी।

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नवग्रह मंत्र के फायदे

नवग्रह मंत्र जाप से जीवन को प्रगतिशील बनाया जा शकता है।
नवग्रह मंत्र जाप करने से समस्याओ में से निकलने का रास्ता मिलता है।
मंत्र जाप से मनुष्य अपने भीतर की शक्तियां जहा पर नवग्रहों का निवास हे उन्हें नवग्रह मंत्र जाप से जागृत कर शकता है।
सूर्य मंत्र के जाप से सूर्य ग्रह के कारक सम्बंधित समस्त समस्याओं का निवारण किया जा शकता है।
चंद्र मंत्र के जाप से चंद्र ग्रह के कारक सम्बंधित समस्त समस्याओं का निवारण किया जा शकता है।
मंगल मंत्र के जाप से मंगल ग्रह के कारक सम्बंधित समस्त समस्याओं का निवारण किया जा शकता है।
बुध मंत्र के जाप से बुध ग्रह के कारक सम्बंधित समस्त समस्याओं का निवारण किया जा शकता है।
बृहस्पति मंत्र के जाप से बृहस्पति ग्रह के कारक सम्बंधित समस्त समस्याओं का निवारण किया जा शकता है।
शुक्र मंत्र के जाप से शुक्र ग्रह के कारक सम्बंधित समस्त समस्याओं का निवारण किया जा शकता है।
शनि मंत्र के जाप से शनि ग्रह के कारक सम्बंधित समस्त समस्याओं का निवारण किया जा शकता है।
राहु मंत्र के जाप से राहु ग्रह के कारक सम्बंधित समस्त समस्याओं का निवारण किया जा शकता है।
केतु मंत्र के जाप से केतु ग्रह के कारक सम्बंधित समस्त समस्याओं का निवारण किया जा शकता है।
नवग्रह मंत्रो के जाप से समस्त समस्याओ का निवारण हो कर जीवन को सार्थक किया जा शकता है।
जीवन की सफलता का मुलभुत ही नवग्रह है। जिन नवग्रह सूर्य, चंद्र, मंगल, बुध, बृहस्पति, शुक्र, शनि, राहु, केतु को प्रसन्न करने से कोई भी मनुष्य अपने इच्छा अनुसार कार्य का प्रयोजन कर के उसे सिद्ध कर शकता है।

Navgrah mantras

1Navgrah shanti mantra - Mantra for nine planets peach

ब्रह्मा मुरारी त्रिपुरांतकारी भानु: शशि भूमि सुतो बुधश्च।

गुरुश्च शुक्र शनि राहु केतव सर्वे ग्रहा शांति करा भवंतु।।

2Surya Grah Mantra - Mantra for Sun

Vedic Mantras:
ॐ आ कृष्णेन रजसा वर्तमानो निवेशयन्नमृतं मर्त्यं च।
हिरण्ययेन सविता रथेना देवो याति भुवनानि पश्यन्।।

Gayatri Mantra:
ॐ भास्कराय विद्मिहे महातेजाय धीमहि।
तन्नो: सूर्य: प्रचोदयात।।

Tantric Mantra:
ॐ घृणि सूर्याय नमः

Seed Mantra:
ॐ ह्रां ह्रीं ह्रौं सः सूर्याय नमः

Mythological Stotra Mantra:
जपाकुसुम संकाशं काश्यपेयं महदद्युतिम्।
तमोरिंसर्वपापघ्नं प्रणतोSस्मि दिवाकरम्॥

3Chandra Grah Mantra - Mantra for Moon

Vedic Mantras:
ॐ इमं देवा असपत्नं सुवध्यं महते क्षत्राय महते ज्यैष्ठ्याय महते जानराज्यायेन्द्रस्येन्द्रियाय।
इमममुष्य पुत्रममुष्यै पुत्रमस्यै विश एष वोऽमी राजा सोमोऽस्माकं ब्राह्मणानां राजा।।

Gayatri Mantra:
ॐ क्षीरपुत्राय विद्मिहे मृतात्वाय धीमहि।
तन्नम्चंद्र: प्रचोदयात।।

Tantric Mantra:
ॐ सों सोमाय नमः

Seed Mantra:
ॐ श्रां श्रीं श्रौं सः चंद्रमसे नमः

Mythological Stotra Mantra:
दधिशंखतुषाराभं क्षीरोदार्णव संभवम्।
नमामि शशिनं सोमं शंभोर्मुकुट भूषणम्॥

4Mangal Grah Mantra - Mantra for Mars

Vedic Mantras:
ॐ अग्निमूर्धा दिव: ककुत्पति: पृथिव्या अयम्।
अपां रेतां सि जिन्वति।।

Gayatri Mantra:
ॐ अंगारकाय विद्मिहे वाणेशाय धीमहि।
तन्नो: भौम प्रचोदयात।।

Tantric Mantra:
ॐ अं अंङ्गारकाय नम:

Seed Mantra:
ॐ क्रां क्रीं क्रौं सः भौमाय नमः

Mythological Stotra Mantra:
धरणीगर्भ संभूतं विद्युत्कांति समप्रभम्।
कुमारं शक्तिहस्तं तं मंगलं प्रणाम्यहम्॥

5Budh Grah Mantra - Mantra for Mercury

Vedic Mantras:
ॐ उद्बुध्यस्वाग्ने प्रति जागृहि त्वमिष्टापूर्ते सं सृजेथामयं च।
अस्मिन्त्सधस्‍थे अध्‍युत्तरस्मिन् विश्वेदेवा यजमानश्च सीदत।।

Gayatri Mantra:
ॐ सौम्यरुपाय विद्मिहे वाणेशाय धीमहि।
तन्नो: बुध: प्रचोदयात।।

Tantric Mantra:
ॐ बुं बुधाय नमः

Seed Mantra:
ॐ ब्रां ब्रीं ब्रौं सः बुधाय नमः

Mythological Stotra Mantra:
प्रियंगुकलिकाश्यामं रुपेणाप्रतिमं बुधम्।
सौम्यं सौम्यगुणोपेतं तं बुधं प्रणमाम्यहम्॥

6Bruhaspati (Guru) Grah Mantra - Mantra for Jupiter

Vedic Mantras:
ॐ बृहस्पते अति यदर्यो अर्हाद् द्युमद्विभाति क्रतुमज्जनेषु।
यद्दीदयच्छवस ऋतप्रजात तदस्मासु द्रविणं धेहि चित्रम्।।

Gayatri Mantra:
ॐ गुरुदेवाय विद्मिहे वाणेशाय धीमहि।
तन्नो: गुरु: प्रचोदयात।।

Tantric Mantra:
ॐ बृं बृहस्पतये नमः

Seed Mantra:
ॐ ग्रां ग्रीं ग्रौं सः गुरुवे नमः

Mythological Stotra Mantra:
देवानांच ऋषीनांच गुरूं कांचन सन्निभम्।
बुद्धिभूतं त्रिलोकेशं तं नमामि बृहस्पतिम्॥

7Shukra Grah Mantra - Mantra for Venus

Vedic Mantras:
ॐ अन्नात्परिस्त्रुतो रसं ब्रह्मणा व्यपिबत् क्षत्रं पय: सोमं प्रजापति:।
ऋतेन सत्यमिन्द्रियं विपानं शुक्रमन्धस इन्द्रस्येन्द्रियमिदं पयोऽमृतं मधु।।

Gayatri Mantra:
ॐ भृगुसुताय विद्मिहे दिव्यदेहाय धीमहि।
तन्नो: शुक्र: प्रचोदयात।।

Tantric Mantra:
ॐ शुं शुक्राय नमः

Seed Mantra:
ॐ द्रां द्रीं द्रौं सः शुक्राय नमः

Mythological Stotra Mantra:
हिमकुंद मृणालाभं दैत्यानां परमं गुरूम्।
सर्वशास्त्र प्रवक्तारं भार्गवं प्रणमाम्यहम्।।

8Shani Grah Mantra - Mantra for Saturn

Vedic Mantras:
ॐ शं नो देवीरभिष्टय आपो भवन्तु पीतये।
शं योरभि स्त्रवन्तु न:।।

Gayatri Mantra:
ॐ शिरोरुपाय विद्मिहे मृत्युरुपाय धीमहि।
तन्नो: सौरि: प्रचोदयात।।

Tantric Mantra:
ॐ शं शनैश्चराय नमः

Seed Mantra:
ॐ प्रां प्रीं प्रौं सः शनैश्चराय नमः

Mythological Stotra Mantra:
नीलांजन समाभासं रविपुत्रं यमाग्रजम्।
छायामार्तंड संभूतं तं नमामि शनैश्चरम्॥

9Rahu Grah Mantra - Mantra for Rahu

Vedic Mantras:
ॐ कया नश्चित्र आ भुवदूती सदावृध: सखा।
कया शचिष्ठया वृता।।

Gayatri Mantra:
ॐ शिरोरुपाय विद्मिहे अमृतेशाय धीमहि।
तन्नो: राहु: प्रचोदयात।।

Tantric Mantra:
ॐ रां राहवे नमः

Seed Mantra:
ॐ भ्रां भ्रीं भ्रौं सः राहवे नमः

Mythological Stotra Mantra:
अर्धकायं महावीर्यं चंद्रादित्य विमर्दनम्।
सिंहिकागर्भसंभूतं तं राहुं प्रणमाम्यहम्॥

10Ketu Grah Mantra - Mantra for Ketu

Vedic Mantras:
ॐ केतुं कृण्वन्नकेतवे पेशो मर्या अपेशसे।
सुमुषद्भिरजायथा:।।

Gayatri Mantra:
ॐ गदाहस्ताय विद्मिहे अमृतेशाय धीमहि।
तन्नो: केतु: प्रचोदयात।।

Tantric Mantra:
ॐ कें केतवे नमः

Seed Mantra:
ॐ स्रां स्रीं स्रौं सः केतवे नमः

Mythological Stotra Mantra:
पलाशपुष्पसंकाशं तारकाग्रह मस्तकम्।
रौद्रंरौद्रात्मकं घोरं तं केतुं प्रणमाम्यहम्॥

11Navgrah Stotra

अथ नवग्रह स्तोत्र

॥ श्री गणेशाय नमः ॥

जपाकुसुम संकाशं काश्यपेयं महदद्युतिम्।
तमोरिंसर्वपापघ्नं प्रणतोSस्मि दिवाकरम्॥१॥

दधिशंखतुषाराभं क्षीरोदार्णव संभवम्।
नमामि शशिनं सोमं शंभोर्मुकुट भूषणम्॥२॥

धरणीगर्भ संभूतं विद्युत्कांति समप्रभम्।
कुमारं शक्तिहस्तं तं मंगलं प्रणाम्यहम्॥३॥

प्रियंगुकलिकाश्यामं रुपेणाप्रतिमं बुधम्।
सौम्यं सौम्यगुणोपेतं तं बुधं प्रणमाम्यहम्॥४॥

देवानांच ऋषीनांच गुरूं कांचन सन्निभम्।
बुद्धिभूतं त्रिलोकेशं तं नमामि बृहस्पतिम्॥५॥

हिमकुंद मृणालाभं दैत्यानां परमं गुरूम्।
सर्वशास्त्र प्रवक्तारं भार्गवं प्रणमाम्यहम्॥६॥

नीलांजन समाभासं रविपुत्रं यमाग्रजम्।
छायामार्तंड संभूतं तं नमामि शनैश्चरम्॥७॥

अर्धकायं महावीर्यं चंद्रादित्य विमर्दनम्।
सिंहिकागर्भसंभूतं तं राहुं प्रणमाम्यहम्॥८॥

पलाशपुष्पसंकाशं तारकाग्रह मस्तकम्।
रौद्रंरौद्रात्मकं घोरं तं केतुं प्रणमाम्यहम्॥९॥

इति श्रीव्यासमुखोग्दीतम् यः पठेत् सुसमाहितः।
दिवा वा यदि वा रात्रौ विघ्न शांतिर्भविष्यति॥१०॥

नरनारी नृपाणांच भवेत् दुःस्वप्ननाशनम्।
ऐश्वर्यमतुलं तेषां आरोग्यं पुष्टिवर्धनम्॥११॥

ग्रहनक्षत्रजाः पीडास्तस्कराग्निसमुभ्दवाः।
ता सर्वाःप्रशमं यान्ति व्यासोब्रुते न संशयः॥१२॥

॥इति श्री वेदव्यास विरचितम् आदित्यादी नवग्रह स्तोत्रं संपूर्णं॥

12Navgrah Kavach

ओम शिरो मे पातु मार्तण्ड: कपालं रोहिणीपति:।
मुखमङ्गारक: पातु कण्ठं च शशिनन्दन:।।

बुद्धिं जीव: सदा पातु हृदयं भृगुनंदन:।
जठरं च शनि: पातु जिह्वां मे दितिनंदन:।।

पादौ केतु: सदा पातु वारा: सर्वाङ्गमेव च।
तिथयोऽष्टौ दिश: पान्तु नक्षत्राणि वपु: सदा।।

अंसौ राशि: सदा पातु योगश्च स्थैर्यमेव च।
सुचिरायु: सुखी पुत्री युद्धे च विजयी भवेत्।।

रोगात्प्रमुच्यते रोगी बन्धो मुच्येत बन्धनात्।
श्रियं च लभते नित्यं रिष्टिस्तस्य न जायते।।

य: करे धारयेन्नित्यं तस्य रिष्टिर्न जायते।
पठनात् कवचस्यास्य सर्वपापात् प्रमुच्यते।।

मृतवत्सा च या नारी काकवन्ध्या च या भवेत्।
जीववत्सा पुत्रवती भवत्येव न संशय:।।

एतां रक्षां पठेद् यस्तु अङ्गं स्पृष्ट्वापि वा पठेत्।।

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