
Congratulations to the government of Narendra Modi (Bharatiya Janata Party) in Gujarat

Importance of navgraha – celestial bodies
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नवग्रह का महत्व
नवग्रह का महत्व
समस्त ब्रह्माण्ड में नवग्रहों का ही सबसे अधिक महत्व है। इन्ही नवग्रहों के आधार पे देवी, देवता, विधि, विधान, उपाय, और किसी भी तरह का निराकरण ला शकते है।
हिन्दू शास्त्र के अनुसार शिव, ब्रह्मा , विष्णु, महेश, देवी, गणेश और इन समस्त शक्तियों का एक रूप यानि सूर्य ये पांच शक्तियों और सूर्य के आधीन ही समस्त ब्रह्माण्ड की रचना हुई है, जिनका उद्भव कैसे और कब हुआ वो वेद पुराण शास्त्रों में लिखे अनुसार ये पांचो महाशक्ति एक दूसरे के जन्मदाता है और एक दूसरे पे निर्भर है। महाभारत में श्री कृष्ण ने जब विराट स्वरूप दिखाया था जो हम चित्रों में देखते है उस से पता चलता है की समस्त शक्तियां एक दूसरे से जुडी हुई है। जिसमे जो पांच मुख्य शक्ति है उन्हें हम ब्रह्माण्ड के रचयिता के कर्ता भगवान् के रूप में मानते है। और जो हिन्दू धर्म में नहीं मानते वो एक शक्ति के रूप में जिसे वो एनर्जी कहते है उस रूप में मानते है। जिसकी विस्तृत जानकारी दूसरी पोस्ट में आप सभी को सूचित किया जायेगा।
पांच शक्तियों के एक रूप सूर्य देवता को सूर्य मंडल के अधिपति के रूप में विराजमान किया गया है, जिनके आधीन बाकि के आठ ग्रह चंद्र, मंगल, बुध, बृहस्पति , शुक्र, शनि, राहु और केतु को मिला कर नव ग्रहो का सूर्य मंडल स्थापित है। ये ही सूर्य मंडल यानि की समय चक्र कहा जाता है। ये नवग्रहों का मंडल अलग अलग नक्षत्रो में स्थायी है जो समस्त २७ नक्षत्र और १ अभिजीत नक्षत्र मिलाकर २८ नक्षत्रो में नव ग्रह और बारह राशियाँ मेष, वृषभ, मिथुन, कर्क, सिंह, कन्या, तुला, वृश्चिक, धनु, मकर, कुम्भ और मीन राशियों में विभाजित हुए हुए है। जिन नव ग्रहो को संसार के समस्त पंथो ने अलग अलग रूप में माना है। यहाँ तक की वैज्ञानिक भी इन्ही नवग्रहों की खोज में बड़े बड़े वैज्ञानिक को अप्पोइंट कर के विज्ञान की संस्थाएं बना कर बैठे है, जो हिन्दू और जैन शास्त्र में सम्पूर्ण जानकारी और विज्ञान पहले से दिया हुआ है।
२८ नक्षत्र, १२ राशि और ९ ग्रह का जो चक्र गणित है , उसे ही समय चक्र, काल चक्र कहा जाता है। ब्रह्माण्ड में स्थिर समस्त ८४ लाख योनि पे इन्ही ग्रहो का प्रभाव हो कर उनके समय चक्र के अनुसार उसके फल मिलते है।
शास्त्रों में कहे जाने वाले शिव, ब्रह्मा , विष्णु, महेश, देवी, गणेश भगवान् को ना तो आज तक किसी ने देखा है , ना ही किसी ने साक्षात् दर्शन किये है, फिर भी बुद्धि जीवी मनुष्य उन अज्ञात शक्ति को मान कर उनकी सेवा पूजा करते है। जब की इन्ही शक्तियों ने ब्रह्माण्ड में सूर्य देवता कहे जाने वाले सूर्य ग्रह में उनका खुद का स्वरुप शास्त्रों में दे रखा है। जिसके आधीन सूर्य मंडल के समस्त नवग्रह सभी योनि के जीवो के कर्म का लेखाजोखा रख के समय चक्र के अनुसार उसका फल प्रदान करते है।
नवग्रह देवता जिसे हम सूर्य देव, ,चंद्र देव, मंगल देव, बुध देव, गुरु देव, शुक्र देव, शनि देव, राहु देव और केतु देव के नाम से जानते है जो समस्त नव देवता हम सभी जीवो को मनुष्य और अन्य योनियों में जन्म लेने वाले को साक्षात् दर्शन देते है और आपके जन्म के अनुसार आप पे उनका प्रभाव भी डालते है।
किसी भी मनुष्य या किसी भी जीव के जन्म समय पे कोनसे ग्रह देवता का स्थान किस राशि या नक्षत्र में हे उस अनुसार वो मनुष्य और अन्य जीवो के जीवन के समय चक्र को साक्षात् दिखाता है।
जो नवग्रह हमारे जीवन में जन्म के समय उनके स्थान के अनुसार समस्त जीवन में क्या होने वाला हे उसका पहले से ही दशा के माध्यम से कुंडली के अनुसार ज्योतिष विद्या के ज्ञानी को सब कुछ बता देते है।
यहाँ तक की समस्त नवग्रह देवता समस्त मनुष्यो को साक्षात् दर्शन देने रोज आकाश मंडल में आते है। पृथ्वी से जितने दूर उनका स्थान हे उस अनुसार उनका कद हमें जो छोटा बड़ा दीखता है उस अनुसार हमें वो रोज दर्शन देते है। जिसका स्पष्ट उदहारण देखने जाये तो हर रोज सुबह सूर्य देवता और शाम को चंद्र देवता के दर्शन हर कोई आकाश में देख कर कर शकता है। लेकिन बाकि के ग्रहो के दर्शन उनके स्थान अनुसार जब वो पृथ्वी के नज़दीक आते है तब उनके समय के अनुसार हम आकाश मंडल में देख शकते है।
जिस ज्योतिष को ज्योतिष विद्या, वेद, पुराण, तंत्र शास्त्र का सम्पूर्ण ज्ञान हो वो इन्ही नवग्रह देवता के अनुसार विधि, विधान, तांत्रिक क्रिया, टोटके के जरिये जीवन में आने वाली कैसी भी समस्याओ का निराकरण ला शकता है।
किसी ने भी कभी ये सुना है की मनुष्य को कोई भगवान् से दिक्खत आयी? ये किसी ने भी नहीं सुना, लेकिन जब कभी भी समस्या आती है या जब कभी भी समय के अनुसार कोई बात होती है तो ये जरूर कहा जाता है की क्या पता कोनसे ग्रह की समस्या है। ये बात हर कोई सोचेगा तो समझ आएगा की जब कोई समस्या का कारन हम ग्रह को बताते है तो अच्छे समय का कारक भी तो ये ही नवग्रह है, यहाँ तक की कोई भी समस्या का समाधान भी इन्ही नवग्रहों के उपाय और विधि विधान कर के ही आता है।
ब्रह्माण्ड की रचना कैसे हुई ये तो कोई नहीं जानता, लेकिन जितने भी महापुरुष या महाज्ञानी पुरुष या स्त्रियाँ हुई उन सभी जीवन में उनके जन्म समय की एक कुंडली जरूर बानी हुई है। जिसे शास्त्र और कई ज्ञानी पुरुष किसी भगवान् या देवी देवता का अवतार कहते है उनका भी मनुष्य भव में जन्म होने के साथ उनका जीवन भी नवग्रहों के समय चक्र के अनुसार ही रहा हुआ है।

उदहारण के तौर पे हम एक सामान्य बात करे तो श्री राम की भी कुंडली है , श्री कृष्ण की भी कुंडली है, वैसे श्री बौद्ध तक आते है तो उनकी भी कुंडली है, दूसरी तरफ देखा जाये तो हिन्दू धर्म के आलावा जैन शास्त्रों के अनुसार जितने भी तीर्थंकर भगवान् हुए उनकी भी कुंडली है, अन्य धर्मो के जो भी महापुरुष हुए उनकी भी कुंडली है। मतलब की पृथ्वी पे जन्म लेने वाले हर मनुष्य और अन्य योनि के जीवो की एक कुंडली के माध्यम से समस्त नक्षत्र, राशि और गृह किस जगह उदय है उस अनुसार उस मनुष्य का कर्म स्पष्ट रूप से ज्ञात करवा कर जीवन के हर एक समय का गणित जो भूतकाल, वर्तमानकाल, और भविष्यकाल यहाँ तक की पिछले जन्म के कर्म, इस जन्म के बाद में होने वाला दूसरे जन्म के कर्म और वर्तमान जीवन के हर एक पहलु, हर एक रिश्ता, प्रभुत्व, धन, परिवार, पराक्रम, सुख शांति, संतान, रोग, जीवनसाथी, समस्याएं, भाग्य, कर्म, लाभ, लेनदेन, और वर्तमान जीवन की मृत्यु तक का फलकथन त्रिलोक दर्शी ज्योतिष विद्या के अनुसार किया जा शकता है। इसी विद्या के अनुसार कोनसे ग्रह, राशि, और नक्षत्र के अनुसार कोनसे देवी देवता की भौतिक और आध्यात्मिक सुख की प्राप्ति के लिए विधान करना चाहिए वो तय किया जाता है।
नवग्रह ही सभी जीवो के सर्वेसर्वा कहे गए है। यहाँ तक की वो समस्त देवता हमें आकाश मंडल में रोज आ कर दर्शन भी देते है, और हमारे जीवन में उनके अनुसार प्रभाव भी डालते है। नवग्रह के विधि विधान, उनके अनुसार देवी देवता और शास्त्रोक्त विधि विधान जो वैदिक, पौराणिक और तांत्रिक विधियां दी गयी है उनके अनुसार मनुष्य और अन्य जीवो के योनि के अनुसार उपाय करने पर जीवन को सरल भी बनाते है और जीवन के कारण को सार्थक बना कर मनुष्य के इच्छा अनुसार फल भी प्रदान करते है।
नवग्रहों का महत्व यदि कोई सम्पूर्ण जान लेता है तो जीवन के हर पहलू को मनुष्य अपने हिसाब से उसके अनुकूल बना शकता है।
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