नवग्रह

नवग्रह का महत्व -समस्त ब्रह्माण्ड में नवग्रहों का ही सबसे अधिक महत्व है। इन्ही नवग्रहों के आधार पे देवी, देवता, विधि, विधान, उपाय, और किसी भी तरह का निराकरण ला शकते है।

हिन्दू शास्त्र के अनुसार शिव, ब्रह्मा , विष्णु, महेश, देवी, गणेश और इन समस्त शक्तियों का एक रूप यानि सूर्य ये पांच शक्तियों और सूर्य के आधीन ही समस्त ब्रह्माण्ड की रचना हुई है, जिनका उद्भव कैसे और कब हुआ वो वेद पुराण शास्त्रों में लिखे अनुसार ये पांचो महाशक्ति एक दूसरे के जन्मदाता है और एक दूसरे पे निर्भर है। महाभारत में श्री कृष्ण ने जब विराट स्वरूप दिखाया था जो हम चित्रों में देखते है उस से पता चलता है की समस्त शक्तियां एक दूसरे से जुडी हुई है। जिसमे जो पांच मुख्य शक्ति है उन्हें हम ब्रह्माण्ड के रचयिता के कर्ता भगवान् के रूप में मानते है। और जो हिन्दू धर्म में नहीं मानते वो एक शक्ति के रूप में जिसे वो एनर्जी कहते है उस रूप में मानते है। जिसकी विस्तृत जानकारी दूसरी पोस्ट में आप सभी को सूचित किया जायेगा।

पांच शक्तियों के एक रूप सूर्य देवता को सूर्य मंडल के अधिपति के रूप में विराजमान किया गया है, जिनके आधीन बाकि के आठ ग्रह चंद्र, मंगल, बुध, बृहस्पति , शुक्र, शनि, राहु और केतु को मिला कर नव ग्रहो का सूर्य मंडल स्थापित है। ये ही सूर्य मंडल यानि की समय चक्र कहा जाता है। ये नवग्रहों का मंडल अलग अलग नक्षत्रो में स्थायी है जो समस्त २७ नक्षत्र और १ अभिजीत नक्षत्र मिलाकर २८ नक्षत्रो में नव ग्रह और बारह राशियाँ मेष, वृषभ, मिथुन, कर्क, सिंह, कन्या, तुला, वृश्चिक, धनु, मकर, कुम्भ और मीन राशियों में विभाजित हुए हुए है। जिन नव ग्रहो को संसार के समस्त पंथो ने अलग अलग रूप में माना है। यहाँ तक की वैज्ञानिक भी इन्ही नवग्रहों की खोज में बड़े बड़े वैज्ञानिक को अप्पोइंट कर के विज्ञान की संस्थाएं बना कर बैठे है, जो हिन्दू और जैन शास्त्र में सम्पूर्ण जानकारी और विज्ञान पहले से दिया हुआ है।

२८ नक्षत्र, १२ राशि और ९ ग्रह का जो चक्र गणित है , उसे ही समय चक्र, काल चक्र कहा जाता है। ब्रह्माण्ड में स्थिर समस्त ८४ लाख योनि पे इन्ही ग्रहो का प्रभाव हो कर उनके समय चक्र के अनुसार उसके फल मिलते है।

शास्त्रों में कहे जाने वाले शिव, ब्रह्मा , विष्णु, महेश, देवी, गणेश भगवान् को ना तो आज तक किसी ने देखा है , ना ही किसी ने साक्षात् दर्शन किये है, फिर भी बुद्धि जीवी मनुष्य उन अज्ञात शक्ति को मान कर उनकी सेवा पूजा करते है। जब की इन्ही शक्तियों ने ब्रह्माण्ड में सूर्य देवता कहे जाने वाले सूर्य ग्रह में उनका खुद का स्वरुप शास्त्रों में दे रखा है। जिसके आधीन सूर्य मंडल के समस्त नवग्रह सभी योनि के जीवो के कर्म का लेखाजोखा रख के समय चक्र के अनुसार उसका फल प्रदान करते है।

नवग्रह देवता जिसे हम सूर्य देव, ,चंद्र देव, मंगल देव, बुध देव, गुरु देव, शुक्र देव, शनि देव, राहु देव और केतु देव के नाम से जानते है जो समस्त नव देवता हम सभी जीवो को मनुष्य और अन्य योनियों में जन्म लेने वाले को साक्षात् दर्शन देते है और आपके जन्म के अनुसार आप पे उनका प्रभाव भी डालते है।

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नवग्रह का महत्व

नवग्रह का महत्व पांच शक्तियों के एक रूप सूर्य देवता को सूर्य मंडल के अधिपति के रूप में विराजमान किया गया है, जिनके आधीन बाकि के आठ ग्रह चंद्र, मंगल, बुध, बृहस्पति , शुक्र, शनि, राहु और केतु को मिला कर नव ग्रहो का सूर्य मंडल स्थापित है